सीजी क्रांति/खैरागढ़। नगर पालिका में दैनिक वेतन भोगी और प्लेंसमेंट कर्मचारियों के ईपीएफ घोटाले की जांच शुरू हो गई है। सोमवार को पालिका कर्मचारियों ने परिसर के सामने एकजुट होकर अपने हक के लिए आवाज उठाई। वे जब पालिका पहुंचे तो न सीएमओ कार्यालय पहुंचे थे न पालिका अध्यक्ष। बाद में जब सीएमओं की इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने फोन कर नाराज कर्मचारियों को बुलाया। उनसे ठीक आधे घंटे बात कर उन्हें समझाईश दी। हालांकि सीएमओ सूरज सिदार ने कर्मचारियों के ज्ञापन को लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कर्मचारियों के साथ गलत नहीं होने दिया जाएगा। आखिरकार नौकरी जाने का डर और अधिकारी की समझाइश के बाद निराश मन से कर्मचारी फिलहाल पीछे हट गए हैं।
बहरहाल ईपीएफ के हिसाब—किताब के लिए रायपुर के किसी सीए को नियुक्त किए जाने की बात कही जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि पालिका में ईपीएफ का लेखा—जोखा रखने वाले राजनांदगांव के मितेश बावरिया को उसका पेमेंट नहीं किया गया है। श्री बावरिया ने समय—समय पर पालिका अधिकारियों को ईपीएफ जमा करने अगाह किया लेकिन पालिका अधिकारियों ने इस दिशा में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
नगर पालिका के सीएमओ सूरज सिदार का कहना है कि यह पुराना मामला है। ईपीएफ जमा नहीं होने की जो शिकायत सामने आई है,उसमें कई पहलुओं की जांच की आवश्यकता है। इस मामले में जांच के निर्देश दे दिए गए हैं।
लिहाजा अफसर विभागीय गलतियों को नजरअंदाज कर यह भी कहने से बाज नहीं आ रहे हैं। पालिका के कर्मचारी इतने दिनों तक सो रहे थे? उन्हें अभी अपने ईपीएफ की याद आ रही है।
जबकि ईपीएफ मामले में पूरी लापरवाही विभागीय कर्मचारियों की है। उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से भुेगतान प्रक्रिया में अनियमितता बरती है। जिसे साफ समझा जा सकता है। लेकिन जांच के नाम पर आश्वासन देकर कर्मचारियों के शांत करने की कोशिश की जा रही है।
ईपीएफ के बारे में वह जानकारी जो आपके काम की हो सकती है….
कर्मचारी जिस भी संस्था में काम करते हैं, वहां आपके प्रोविडेंट फंड (पीएफ) का पैसा काटा जाता है। फिर इसी पैसे को कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा कराया जाता है। हर महीने पीएफ का पैसा कटता है और हर महीने पीएफ खाते में उस पैसे को जमा कराया जाता है। ईपीएफओ का नियम कहता है कि नियोक्ता और कर्मचारी की ओर से पीएफ खाते में हर महीने बेसिक सैलरी और डीए का 12-12 परसेंट पैसा जमा कराया जाएगा। नियोक्ता की 12 परसेंट हिस्सेदारी में 8.33 परसेंट इंप्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) में जमा होता है और बाकी का 3.67 परसेंट पीएफ खाते में जाता है। इन आंकड़ों में मामूली परिवर्तन भी संभव है।
ईपीएफओ हर महीने अपने ग्राहकों को पीएफ खाते में जमा किए जाने वाले पैसे की जानकारी एसएमएस अलर्ट के माध्यम से देता है। कोई कर्मचारी चाहे तो हर महीने ईपीएफओ पोर्टल पर लॉगिन करके भी अपने पीएफ खाते का बैलेंस जान सकता है। इससे पता लग जाएगा कि खाते में पैसे जमा हो रहे हैं या नहीं। पिछले महीने की सैलरी जारी होने के 15 दिनों के भीतर कंपनी को पीएफ खाते में पैसा जमा कराना जरूरी है।
ईपीएफ का पैसा जमा नहीं हुआ तो क्या कर सकता है कर्मचारी
1-ईपीएफओ में कराएं शिकायत
सबसे पहले तो कर्मचारी को ईपीएफओ में शिकायत दर्ज करनी होगी कि नियोक्ता उसके पीएफ का पैसा काटता है, लेकिन खाते में जमा नहीं कराता। इसके बाद ईपीएफओ उस नियोक्ता की इंक्वायरी करेगा। अगर इंक्वायरी में यह बात साफ हो जाए कि कंपनी ने पैसा काटा, लेकिन पीएफ खाते में जमा नहीं कराए, तो ईपीएफओ कानूनी कार्रवाई करेगा।
2-कंपनी के खिलाफ दर्ज होगा केस
ऐसी स्थिति में ईपीएफओ नियोक्ता संस्था से ब्याज का पैसा वसूलेगा और उसके खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई शुरू करेगा। ईपीएफ एक्ट के मुताबिक, पीएफ खाते में पैसा नहीं जमा कराने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। कंपनी या संस्था के खिलाफ नियमों के उल्लंघन पर ईपीएफओ आईपीसी की धारा 406 और 409 के तहत केस दर्ज कराएगी।
3-ऐसे होती है वसूली
नियोक्ता संस्था जुर्माना वसूली के लिए ईपीएफओ को इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड्स एंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट, 1952 के तहत धारा 14-बी में अधिकार मिला हुआ है। यह धारा तब लगाई जाती है जब कंपनी पीएफ का पैसा काटे, लेकिन कर्मचारी के खाते में जमा नहीं कराती।