सीजी क्रांति/खैरागढ़। खैरागढ़ के सियासी मैदान में हलचल शुरू हो चुकी है। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा टिकट की दौड़ में फिलहाल आगे है। हालांकि पूर्व विधायक गिरीवर जंघेल, कृषि उपज मंडी अध्यक्ष दशमत जंघेल, जिला पंचायत सदस्य निर्मला विजय वर्मा अपनी दावेदारी पेश करेंगे। वहीं भाजपा में विधायकी पाने आधा दर्जन से अधिक नाम सामने आ रहे हैं। जिनमें कोमल जंघेल, विक्रांत सिंह, खम्मन ताम्रकार, ज्योति जंघेल, लिमेश्वरी साहू, घम्मन साहू, और टिलेश्वर साहू शामिल है। लुकेश्वरी जंघेल पार्टी से निलंबित है। उनकी वापसी होती है, तो दावेदारों की सूची में एक नाम और नाम जुड़ जाएगा।
कांग्रेस भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी, बसपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, शिव सेना, जनता कांग्रेस समेत कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इनमें सर्वाधिक चर्चा जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू के नाम को लेकर हैं कि वे इस बार किस पार्टी से उम्मीदवारी पेश करेंगे। हालांकि जनता कांग्रेस से पूर्व विधायक प्रत्याशी रहे नरेंद्र सोनी भी इन दिनों आंदोलनों के समर्थन में उतरकर अपनी सक्रियता बनाए हुए है।
हर बार की तरह कोमल सशक्त तो विक्रांत स्वाभाविक दावेदार, घम्मन का नाम भी आ रहा सामने
लगातार पांच बार टिकट मिलने और तीन दफे हारने के बाद भी कोमल जंघेल की दावेदारी को कमजोर नहीं आंका जा रहा है। लोगों के बीच उनकी संवाद और सक्रियता बनी हुई है। महल की राजनीति के खिलाफ किसान और जाति समीकरण से उपजे कोमल जंघेल की स्वीकार्यता अन्य समाजों में भी बढ़ चुकी है।
खासकर पिछड़ा वर्ग में उनकी पकड़ को देखते हुए भाजपा ने उन्हें प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया है। बीते उप विधानसभा चुनाव में कोमल के हार का अंतर काफी बढ़ गया, लेकिन उन्हें हराने पूरी सरकार को मैदान में उतरना पड़ गया था। यहां तक स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आधा दर्जन संभाएं लेनी पड़ी थी।
इधर विक्रांत सिंह की दावेदारी हर बार की तरह इस बार भी चर्चा में है। पूरे विधानसभा में विक्रांत सिंह सर्वाधिक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उनके पास युवाओं की बड़ी टीम है। अपने राजनीतिक जीवन में अब तक अजेय रहे विक्रांत सिंह टिकट की दौड़ में हर बार किस्मत के हाथों पटखनी खा रहे है। इसके अलावा जातिवाद, परिवारवाद उनकी राह का बड़ा रोड़ा आज भी बना हुआ है। हालांकि जिला पंचायत चुनाव में उन्होंने तमाम रूकावटों को पार कर बड़ी सफलता अर्जित की थी।
विक्रांत सिंह विधानसभा चुनाव लड़ने के हर उस पैमाने पर फिट बैठते हैं जिसे राजनीतिक रणनीतिकार अनिवार्य मानते हैं। जन चर्चा में विक्रांत सिंह भाजपा के सबसे मजबूत चेहरे हैं। कोमल विक्रांत जैसे दो बड़े चेहरों के बीच पहली बार जिला भाजपा अध्यक्ष व जिला पंचायत सदस्य घम्मन साहू का नाम भी विधायक की दौड़ में शामिल है।
खम्मन भी करेंगे दावेदारी, शासन-प्रशासन के खिलाफ लड़ने वाले एकमात्र नेता
गंडई के खम्मन ताम्रकार ने भी अपना जनाधार काफी मजबूत कर लिया है। बीते साढ़े 4 साल में खम्मन ने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर रखा हुआ है। लगातार जनहित के मुद्दों पर खम्मन ने आंदोलन खड़कर कांग्रेस को कटघेरे में खड़ा किया। चंद मिनटों में अपने साथ सैकड़ों की भीड़ एकत्रित करने की क्षमता रखने वाले खम्मन ताम्रकार भी बीते दो विधानसभा में अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।
खम्मन संगठनात्म्क ही नहीं बल्कि चुनावी राजनीति में भी अपना लोहा मनवा चुके हैं। पूर्व जनपद उपाध्यक्ष रह चुके खम्मन की धर्मपत्नी प्रियंका ताम्रकार अभी जिला पंचायत सदस्य हैं। राजनीतिक आंदोलनों के जरिए अपनी पहचान बना चुके खम्मन गंडई से छुईखदान होते हुए खैरागढ़ में भी तेजी से पैर पसार रहे हैं।
महिला उम्मीदवार के रूप में ज्योति, लिमेश्वरी का भी नाम
इनके अलावा महिला उम्मीदवार के रूप में पंडरिया की संरपंच ज्योति जंघेल, पूर्व जिला पंचायत सदस्य लिमेश्वरी साहू भी क्षेत्र में सक्रिय है। ज्योति जंघेल भाजपा की राजनीति में तेजी से उभरी है। पार्टी के आला नेताओं की नजर में ज्योति जंघेल लोधी उम्मीदवार के रूप में मजबूत विकल्प के रूप में बनी हुई है।
वहीं साहू समाज के बड़े वोटर्स के बीच अपनी पैठ रखने वाली लिमेश्वरी हेमू साहू भी पार्टी हाईकमान के सीधे संपर्क में है। 2013 विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन में एक समय ऐसा भी आया जब लिमेश्वरी साहू की धमाकेदार एंट्री हुई थी। इन दो महिला नेत्रियों के अलावा लुकेश्वरी जंघेल का निलंबन वापस होने की स्थिति में वे भी विधानसभा टिकट की दौड़ में महिला उम्मीदवारी के रूप में पसंददीदा नेत्री साबित होंगी।