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खुलासा : छत्तीसगढ़ के 7 डिप्टी कलेक्टर समेत 21 अफसरों के ‘दिव्यांग सर्टिफिकेट’ फर्जी ! संघ ने प्रेसवार्ता में किया दावा, बर्खास्तगी की मांग.. लिस्ट में कई बड़े नाम

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने बुधवार को रायपुर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई चौंकाने वाले खुलासे किए है. संघ ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में सरकारी नौकरी में 50 फीसदी दिव्यांग फर्जी है.


सीजी क्रांति/रायपुर. देश में इन दिनों ट्रेनी IAS पूजा खेडकर का मामला सुर्खियों में है. आईएएस पूजा को लेकर रोज नये खुलासे हो रहे है. इस बीच छत्तीसगढ़ में भी फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने वालों के नाम सामने आए हैं. सूची में डिप्टी कलेक्टर, नायब तहसीलदार समेत कई बड़े अफसरों के नाम शामिल है.

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छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने बुधवार को रायपुर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई चौंकाने वाले खुलासे किए है. संघ ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में सरकारी नौकरी में 50 फीसदी दिव्यांग फर्जी है. वर्तमान में 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार, 3 लेखा अधिकारी 3 पशु चिकित्सक समेत 21 अफसर फर्जी दिव्यांग प्रमाण के आधार पर नौकरी कर रहे है.

फर्जी सर्टिफिकेट बनाने में ये अफसर हैं शामिल

संघ ने आरोप लगाया कि फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के सरगना लोरमी के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी गुलाब सिंह राजपूत, मुंगेली एनईटी विशेषज्ञ डॉ. एमके राय और बिलासपुर संभाग में संयुक्त स्वास्थ्य संचालक डॉ. प्रमोद महाजन है. बताया कि प्रदेश में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने इस धंधे में कई गैंग सक्रिय हैं. 50 हजार से 1 लाख रूपए में फर्जी सर्टिफिकेट बनाया जा रहा है. यह गैंग फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए वास्तविक दिव्यांगों का सहारा लेते है. इन्हें पैसे देकर दूसरे के स्थान पेश किया जाता है. कई मामलो में डॉक्टर समेत स्टॉफ भी शामिल होता है. मुंगेली जिले में सबसे ज्यादा 200 लोग फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे है.

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200 फर्जी दिव्यांगों की शिकायत, सिर्फ 1 पर कार्रवाई


छतीसगढ़ दिव्यांग संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि 200 फर्जी दिव्यांगों की शिकायत की गई. लेकिन सिर्फ 3 लोगों का ही मेडिकल परीक्षण कराया गया है. तीनों फर्जी दिव्यांग पाये गये है. इसके बाद भी सिर्फ महासमुंद कृषि सहायक संचालक रिचा दुबे पर ही बर्खास्तगी की कार्रवाई हुई. वहीं सत्येन्द्र सिंह व्याख्याता जिला जांजगीर और अक्षय सिंह राजपूत व्याख्याता जिला मुंगेली पर कार्रवाई नहीं की गई है.

संघ ने फर्जी दिव्यांगों की बर्खास्तगी, FIR कराने समेत ये रखी मांग

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने प्रशासनिक सेवा में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट वाले अधिकारियों पर कार्रवाई समेत अन्य मांगे भी रखी हैं. संघ चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वह व्यापक स्तर पर आंदोलन करेंगे.

  • जिन 21 लोगों के नाम बताए गए हैं, उनका मेडिकल बोर्ड के सामने दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण 15 दिन के अंतर कराया जाए। फर्जी दिव्यांग साबित हो चुके सत्येन्द्र सिंह चंदेल व्याख्याता जिला जांजगीर और अक्षय सिंह राजपूत व्याख्याता जिला मुंगेली को तत्काल बर्खास्त किया जाए.
  • रिचा दुबे सहायक संचालक कृषि महासमुंद बर्खास्त हो चुकी है. उस पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज हो.
  • वास्तविक दिव्यांग शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को केन्द्र के सामान 4 प्रतिशत पदोन्नति में आरक्षण दिया जाए। जिसका गणना केन्द्र के सामान 1 जनवरी 2016 से किया जाए.
  • छग राज्य में दिव्यांगों को केवल 500 रुपए पेंशन दिया जाता है, जबकि कई राज्यों में 3500 से 4072 रुपए तक प्रतिमाह पेंशन मिलता है। पेंशन बढ़ाकर 5000 रुपए प्रतिमाह किया जाए। पेंशन के लिए BPL की बाध्यता खत्म हो.
  • दिव्यांगता के कारण दिव्यांग बहनों की शादी नहीं हो पा रही है। उन्हें महतारी वंदन योजना का लाभ दिया
  • विभागों के गलत पत्राचार और धारा 51 के जगह 91 का उल्लेख होने से जिन 10 से 20 लोगों को कोर्ट से स्टे मिला है। उसका तुरंत निपटारा करने के लिए समिति बनाई जाए। इसके लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के परिपत्र क्रमांक 18-04/2011/9/17 दिनांक 25.02.2011 का उपयोग किया जाए.
  • राज्य शासन फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनने से रोकने के लिए कड़ा परिपत्र जारी करे. जो भी इसमें संलिप्त हो उसे 7 साल सजा और 50 लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान हो.
  • सभी भर्ती परीक्षा में अंकित किया जाए कि दिव्यांग सीट पर चयनित अभ्यर्थी के दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण सक्षम बोर्ड से कराने के बाद ही ज्वाइनिंग दिया जाए. भविष्य में शिकायत होने पर संभाग और राज्य मेडिकल बोर्ड से दोबारा दिव्यांगता का भौतिक परीक्षण कराने का प्रावधान हो.

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