सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। खैरागढ़ नगर पालिका में कुर्सी खरीदी में गड़बड़ी के बाद अब बर्तन घोटाला सामने आया है। दीदी बर्तन बैंक योजना के तहत पालिका को बर्तन खरीदने शासन से करीब 4 लाख रूपए मिले। 99 हजार 375 और 99 हजार 874 रूपए में दो बार बर्तन खरीदी गई। जबकि वास्तव में बर्तनों का भौतिक सत्यापन किया जाए तो करीब 65 हजार के बर्तन सिविल लाइंस के मंगल भवन के कमरे में डंप है। यानी अनुमानित करीब सवा 3 लाख रूपए का गबन कर दिया गया ?
दरअसल पालिका के सीएमओ एक लाख रूपए तक के बिल काट सकते हैं। यही वजह है कि बर्तन खरीदी के लिए एक लाख से कम यानी दो बार 99 हजार 375 और 99 हजार 874 रूपए का बर्तन खरीदा गया। कागजों में बर्तन खरीदी हो चुकी है लेकिन वास्तविकता कुछ और है। हैरानी की बात यह है कि इस संबंध पालिका के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को भनक तक नहीं लगी। सभी मुंह अभी सीले हुए हैं। आंखे मूंदी हुई है। जबकि दीदी बर्तन बैंक योजना शहर के गरीब और मध्यम वर्ग के लिए काफी लाभकारी योजना है। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण आम जनता इस योजना से वंचित है।
दरअसल स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य प्रवर्तित योजना दीदी बर्तन के लिए प्रदेश के सभी नगर पालिकाओं को 4 लाख रूपए आंवटित किए गए। इन पैसों से पालिका का सार्वजनिक कार्यक्रमों में उपयोग आने वाले बर्तन खरीदने थे। बर्तन खरीदी के बाद महिला समूहों के माध्यम से शहर जरूरतमंद लोगों को विवाह, मृत्यु कार्यक्रम समेत अन्य सार्वजनिक व सरकारी कार्यक्रमों में कम दरों में बर्तन किराया देना था। इससे जहां गरीबों को राहत मिलती वहीं महिला समूहों के लिए भी आय का स्त्रोत बनता। इस योजना का मुख्य मकसद शहर को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करना था। लेकिन योजना केवल पालिका के कागजों तक ही सिमटकर रह गई।
पालिका को इसके लिए बकायदा नोडल अधिकारी नियुक्त करना था। महिला समूह एक दुकान काउंटर की व्यवस्था करती। इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए भी राशि का प्रावधान था। लेकिन पालिका ऐसा कुछ भी नहीं किया। लिहाजा शहर की जनता को पता ही नहीं है कि उन्हें जो बर्तन टेंट हाउस से महंगे दरों पर खरीदना पडता है। उससे काफी कम दाम पर उन्हें पालिका के माध्यम से बर्तन उपलब्ध हो सकते हैं। इस दिशा में नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों ने भी मुखर आवाज नहीं उठाई इसलिए उनकी भूमिका भी संदिग्ध है। जनप्रतिनिधियों के मिलीभगत के बगैर नगर पालिका प्रशासन बेखौफ होकर इतने बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम नहीं दे सकता।
पालिका अध्यक्ष और सीएमओ की दो टूक-हमें पता नहीं, तो फिर किसे पता होना चाहिए
बता दें कि इस संबंध में नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा और सीएमओ प्रमोद शुक्ला दोनों से सीजी क्रांति दीदी बर्तन बैंक योजना और उसके संचालन के संबंध में सवाल किया तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया कि उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं है। सीएमओ ने हा कि यह उनके पहले कार्यकाल का है। पर जब वह वर्तमान में सीएमओ हैं तो उन्हें इस योजना की वर्तमान स्थित की जानकारी होनी चाहिए और नहीं है तो लेनी चाहिए। वहीं पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा की यह जवाब कि उन्हें इस योजना और उसके क्रियान्वयन की मौजूदा स्थित की जानकारी नहीं है यह भी पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना जवाब है। जनता ने पालिका अध्यक्ष समेत सभी पार्षदों को इसलिए चुनकर भेजा है कि वे शासन की कल्याणकारी योजनाओं जनता तक पहुंचाए। इसमें कहीं गड़बड़ी हो रही है तो उसकी निगरानी करें। उस पर नियंत्रण रखें। पर ऐसा कुछ भी होता नहीं दिख रहा है।
क्या थी नगर पालिका की जिम्मेदारी
0 बर्तन बैंक के संचालन के लिए स्व सहायत समूह के चयन के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति
0 निकाया द्वारा पूर्व निर्धारित गुणवत्ता अनुसार बर्तनों की सूची बर्तन बैंक यानी महिला समूहों को प्रदान करना।
0बर्तन बैंक के लिए स्थल चयन में आवश्यकतानुसार सहायता प्रदान करना।
0 पालिका की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी थी कि पूर्व निधारित चेक लिस्ट के अनुसार माह में दो बार बर्तनों का निरीक्षण कर उसमें आ रही कमियों को सीएमओ को रिपोर्ट करे।
0 शिकायत पंजी की व्यवस्था की जानी थी।
दीदी बर्तन बैंक संचालन कर्ताओं की जिम्मेदारी
0 निकाय द्वारा शासकीय कार्यक्रमों में बर्तन बैंक के बर्तनों का उपयोग में लाना अनिवार्य है।
0 पालिका क्षेत्र में मिनी टिप्पर एवं अन्य माध्यमों से डोर -टू-डोर कचरा कलेक्शन करते समय बर्तन बैंक की मुनादी कर प्रचार-प्रसार किया जाना था।
0 निकाय द्वारा चयनित स्थल पर बर्तन बैंक के ब्रांडिंग के लिए 8 बाई 10 का होर्डिंग लगाना था।
0 बर्तन बैंक के प्रचार-प्रसासर के लिए नगर पालिका कार्यालय में बर्तन बैंक संबंधित जानकारी चस्पा करना था।
0 बर्तन गुम होने पर उसके स्थान पर नए बर्तनों की खरीदी करनी थी।