सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा सीट के लिए मतगणना को करीब 11 घंटे बचे हैं। सीजी क्रांति के सर्वे में खैरागढ़ में कांग्रेस-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। चुनाव के पहले और बाद में भी बड़ी संख्या में जनता खामोश है। लेकिन जो रूझान आए हैं, उसमें जीत किसकी होगी, यह दावे के साथ कोई नहीं कह पा रहा है। पर कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। हालांकि तस्वीर मतगणना के साथ स्पष्ट होनी शुरू हो जाएगी।कांग्रेस की मजबूती की एक बड़ी वजह किसानों का कर्जा माफी को माना जा रहा है।
वहीं जाति समीकरण भी उनकी बड़ी ताकत है। जिसकी वजह से कांग्रेस की यशोदा वर्मा बढ़त बनाए हुए दिख रही है। लेकिन विक्रांत सिंह विधायक पद के लिए करीब 15 साल से दावेदारी और 20 साल से तैयारी कर रहे है। यहीं नहीं चुनाव तिथि तय होने के करीब ढाई माह पहले भाजपा ने विक्रांत सिंह को प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा को जहां अपनी पार्टी के करीब 47 प्रतिद्धंद्वी दावेदारों का मुकाबला करना पड़ा। जबकि विक्रांत सिंह का नाम सामने आने के बाद पार्टी से न कोई दावेदारी सामने आई न बगावत।
धन बल, जन बल समेत तमाम संसाधनों के मामले में विक्रांत सिंह कांग्रेस प्रत्याशी की तुलना में कई कदम आगे हैं। इसके बावजूद विक्रांत सिंह की जीत को लेकर संशय की स्थिति चिंतन का विषय हो सकता है! जबकि जैसा उनका आभामंडल रहा है। उनका तर्जुबा और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पकड़ है। तो उनकी जीत की तस्वीर धुंधली होने की बजाय स्पष्ट होनी चाहिए थी।
बहरहाल विक्रांत सिंह क्षेत्र के प्रभावशाली नेता हैं। वे आज तक खुद का हर चुनाव जीतकर अजेय बने हुए हैं। बीते जिला पंचायत चुनाव में उन्होंने सत्ता के लहर को चीरकर भारी मतों से जीत हासिल किया था। पूरे चुनाव प्रचार अभियान में विक्रांत सिंह ने अपने करीबी और विश्वनीय लोगों को बागडोर सौंपी थी। जबकि विरोधियों को हाशिए पर रखा गया ताकि जोखिम की गुजाइंश न हो।
राजनीति की हर आवश्यकताओं को उन्होंने फूल फिल किया है। यही नहीं विक्रांत सिंह का मुकाबला कांग्रेस की प्रत्याशी से कम और सीएम भूपेश बघेल की घोषणाओं और उनके चेहरे से अधिक रहा है। अब खैरागढ़ विधानसभा में किसके माथे पर विजय तिलक लगता है, यह जानने के लिए पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि आम जनता भी कल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।