न्यूज़ डेस्क। नुपुर शर्मा का नाम पिछले कुछ दिनों से हर मीडिया में छाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की टिप्पणियों के बाद विवाद गहरा गया है। बड़ी संख्या में लोग नुपुर शर्मा के बयान के विरोध में हैं, तो अब सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणी के विरोध में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिटि्ठयां भेज रहे हैं। अब 117 पूर्व जज, ब्यूरोक्रेट भी नुपुर के पक्ष में आगे आए हैं और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से कार्रवाई करने की मांग की है।
नुपुर शर्मा के विवाद की शुरुआत पैगंबर मोहम्मद के संबंध में आपत्तिजनक बयान से हुई। एक टीवी डिबेट के दौरान नुपुर ने पैगंबर मोहम्मद के संबंध में विवादित बयान दिया था। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। क्या आप जानते हैं कि नुपुर शर्मा कौन हैं, कैसे भाजपा से जुड़ीं।
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डीपीएस से स्कूलिंग…लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से किया एलएलएम
नुपुर शर्मा 23 अप्रैल 1985 को नई दिल्ली में पैदा हुईं। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) से स्कूलिंग की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने लॉ डिपार्टमेंट में अपनी पढ़ाई की। इस दौरान 2008 में वे आरएसएस के स्टूडेंट विंग एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़ीं। वे एबीवीपी से दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रसंघ अध्यक्ष बनीं।
हायर एजुकेशन के लिए नुपुर शर्मा लंदन चली गईं। वहां लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इंटरनेशनल बिजनेस लॉ में मास्टर्स की डिग्री ली। इसके बाद वे भारत लौटीं और 2011 में राजनीति में सक्रिय हो गईं। 2013 में दिल्ली चुनाव के दौरान उन्हें भाजपा की मीडिया टीम में शामिल किया गया। इसके बाद उन्होंने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस दौरान उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान उनके जोशीले भाषण और तेजतर्रार छवि से संगठन की नजर पड़ी। उन्हें दिल्ली भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया। इसके बाद 2020 में राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में जिम्मेदारी मिली। इसके बाद वे लगातार टीवी डिबेट में नजर आने लगीं। वे हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी में भी पूरी मुखरता से पार्टी का पक्ष रखती थीं।
हालांकि पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर माफी मांगी। इसके बाद उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किया कि महादेव शिवजी के अपमान को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मैंने रोष में आकर कुछ बातें कह दीं। मैं बिना शर्त अपनी टिप्पणी वापस ले रही हूं।