केसीजी: ये कैसा भेदभाव कलेक्टर साहब ! दिव्यांग तो दोनों हैं पर एक को ही इलेक्ट्रीक ट्राईसिकल क्यों ? पूछता है खैरागढ़ का कन्हैया

सीजी क्रांति/खैरागढ। नया जिला केसीजी कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं। ग्राम बिजलदेही के अजय निषाद को कलेक्टर के निर्देश के बाद समाज कल्याण विभाग ने इलेक्ट्रीक ट्राइसिकल उपलब्ध कराई है। अजय निषाद ने 27 सितंबर को इलेक्ट्रीक ट्राइसिकल के लिए आवेदन किया था। वहीं दूसरी तरफ कलेक्टोरेट से करीब एक किमी दूर निवास करने वाले कन्हैया गुप्ता को अब तक इलेक्ट्रीक ट्राईसिकल नहीं मिल सकी। जबकि कन्हैया ने 14 सितंबर को कलेक्टर को आवेदन दिया था। कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर ने अपने कक्ष से निकलकर बरामदे में आकर कन्हैया गुप्ता का आवेदन लिया था। फोटो भी खिंचवाई थी। मीडिया में इस खबर ने सुर्खियां भी बंटोरी थी। पर हैरानी की बात है कि अब तक कन्हैया गुप्ता को ट्राईसिकल नहीं मिल सका। इसकी एक वजह कन्हैया के आवेदन या दस्तावेजी कमीबेशी हो सकती है, पर संबंधित विभाग ने इसका प्रॉपर फॉलोअप क्यों नहीं किया ? कन्हैया को उसके आवेदन का अपडेट क्यों नहीं दिया गया ?

दिव्यांग कन्हैया को उसका हक चाहिए
दो दिन पहले मीडिया में अजय निषाद को इलेक्ट्रॉनिक ट्राईसिकल देते कलेक्टर श्री सोनकर की फोटो समेत खबर आई तो कन्हैया गुप्ता का मन उदास हो गया। शरीर से दिव्यांग होने के बाद भी वह अपनी जिंदगी को पूरी मजबूती से और सबल होकर जी रहा है लेकिन सिस्टम के सामने वह खुद को कमजोर और निर्बल महसूस करने लगा है। हालांकि अब भी उसके ईरादे चट्टानों सा मजबूत है।
कन्हैया पूरे जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से यह पूछ रहा है कि ‘‘ मैं भी दिव्यांग हू, और भी कई दिव्यांग होंगे, हमें सरकारी योजना का लाभ क्यों नहीं मिल रहा। हमें ट्राईसिकल क्यों नहीं मिल रहा। हमें चक्क्र क्यों काटना पड़ रहा है। हमें तरस की भीख नहीं चाहिए। हमें शासन की योजनाओं का स्वाभाविक सहयोग चाहिए। हमें हमारा हक चाहिए।

कलेक्टर से कहने पर कार्रवाई हो रही, पर दोषियों को क्यों बख्शा जा रहा
कलेक्टर ने निर्देश पर समाज कल्याण विभाग ने दिव्यांग को इलेक्ट्रीक ट्राईसिकल उपलब्ध कराई गई। यानी हितग्राहि अब तक चक्कर काटता रहा है। यानी उनके जैसे और भी ऐसे दिव्यांग हैं जो चक्कर काट रहे हैं। समाज कल्याण विभाग या अन्य कलेक्टर के अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी कहीं न कहीं सरकार की योजनाओं को समाज के जरूरतमंदों तक पहुंचाने में ढिलाई बरत रहे हैं। यही वजह है कि कलेक्टर तक शिकायतें पहुंच रही है। उनके आदेश पर त्वरित निराकरण हो रहा है या अच्छी बात जरूर कही जा सकती है लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि संबंधित विभाग लोगों को चक्कर कटवा रहे हैं। उन्हें परेशान कर रहे हैं। क्योंकि कलेक्टर के कहने पर अमला हरकत में आ रहा है। जबकि पूर्व में वही दस्तावेज और प्रक्रिया होने पर भी हितग्राहियों को नियम-प्रक्रिया में उलझाकर उन्हें चक्कर कटवाया जा रहा है। लिहाजा कलेक्टर के कहने पर कार्रवाई हो रही। लोगों को लाभ भी मिल रहा है लेकिन दोषियों पर क्यों बख्शा जा रहा है, यह बड़ा सवाल है!

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