केसीजी के पहले गणतंत्र उत्सव में यशोदा ने फहराया तिरंगा, सीएम भूपेश का पढ़ा संदेश, पढ़िए सीएम भूपेश बघेल का पूरा संदेश

विधायक यशोदा वर्मा ने फतेह मैदान में किया ध्वजारोहण

सीजी क्रांति/खैरागढ़। खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला के प्रथम गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम जिला मुख्यालय खैरागढ़ के ऐतिहासिक राजा फतेह सिंह खेल मैदान में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्यअतिथि विधायक यशोदा नीलाम्बर वर्मा ने सुबह 9 बजे ध्वजारोहण किया गया। आईटीबीपी के पुलिस जवानों, नगर सेना, एनसीसी व स्काउट के केंडटों द्वारा मैदान में यशोदा नीलाम्बर वर्मा विधायक खैरागढ़ को सलामी दी। जिला के कलेक्टर जगदीश सोनकर व पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने मुख्य अतिथि की अगुवाई की।

मुख्यअतथि विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का प्रदेश के नाम संदेश वाचन करते हुए कहा— आज भारत के चोहत्तरवां गणतंत्र दिवस हवय। हम भारत के लोग के बनाए अपन संविधान ल लागू करे के पावन दिन हे। ये बेरा म मे ह आप मन के हार्दिक अभिनंदन करथंव।
जब हम अपने गौरवशाली संविधान की बात करते हैं तो हमारी आंखों के सामने उन अमर शहीदों के चेहरे नजर आते है। जिनकी बदौलत भारत आजाद हुआ था। अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधूर जैसी विभूतियों की बदौलत 1857 की क्रांति के पहले से हमारा छत्तीसगढ़, भारत की राष्ट्रीय चेतना से जुड़ा था। आजादी के आंदोलन से लेकर गणतंत्र का वरदान दिलाने तक जिन महान विभूतियों ने अपना योगदान दिया, उन सबको मैं सादर नमन करता हूं। हमारे दूरदर्शी पुरखों ने आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के संविधान का सपना ही नहीं देखा था, बल्कि इसकी ठोस तैयारी भी शुरू कर दी थी। यही वजह है कि हमारे संविधान में देश की विरासत, लोकतांत्रिक मूल्य, पंचायत की अवधारणा को अहम स्थान मिला।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित, संविधान निर्माण की प्रक्रिया में शामिल महानुभावों और उस दौर की विभूतियों ने भारत के नवनिर्माण की नींव रखी थी। उसी पर देश बुलंदियों के नए-नए शिखरों पर पहुंचा है।
मैं उन सभी के योगदान को याद करते हुए सादर नमन करता हूं। आज जब हम अपने देश की पावन पहचान तिरंगे झण्डे की छांव में खड़े होते हैं तो आन—बान और शान से लहराते हुए तिरंगे में हमें अपनी महान विरासत के अनेक रंग दिखाई पड़ते हैंए जो हमें भाव—विभोर करते हैं और गौरव का अहसास दिलाते हैं।

हमें अपनी आजादी को बचाने, गणतंत्र को मजबूत करने, संविधान के प्रति आस्था और निष्ठा दोहराने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें इस बात का पुरजोर अहसास होता है कि हमारा संविधान ही हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, मौलिक अधिकारों का प्रणेता है, इसे सहेजकर रखना हम सबका परम कर्त्तव्य है।
इस वर्ष हम देश की आजादी की छिहत्तरवीं सालगिरह मनाएंगे। यह अवसर मनन करने का है कि क्या देश आजादी तथा गणतंत्र के लक्ष्यों को पूरी तरह हासिल कर सका है। आजादी के समय जिस तरह साम्प्रदायिक उन्माद का वातावरण बनाया गया था, क्या आज हम उन चुनौतियों से निश्चिंत हो पाए हैं? क्या जनता के स्वाभिमान, स्वावलंबन और सशक्तीकरण के लक्ष्य पूरे हो पाए हैं? यदि नहीं, तो आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? क्या साम्प्रदायिक उन्माद देश की प्रगति में रुकावट नहीं है।

मेरा मानना है कि आज भी हमारी सबसे बड़ी जरूरत आपसी एकता की है, समन्वय की है, आपसी प्यार और सहभागिता से आगे बढ़ने की है, ताकि नकारात्मक विचारों को किसी भी क्षेत्र में स्थान न मिल पाए। हमारी जरूरत सद्भावना के साथ विकास की है। हर हाथ को काम देने की है।

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद एक नया अवसर मिला था कि सही प्राथमिकताओं से विकास की सही दिशा तय की जाए लेकिन विडम्बना है कि डेढ़ दशक का लंबा समय गलत प्राथमिकताओं के कारण खराब हो गया। हमें तीन वर्ष पहले जब जनादेश मिला तो हमने छत्तीसगढ़ में न्याय, नागरिक अधिकारों और जन—सशक्तीकरण का काम मिशन मोड में किया है। यही वजह है कि आज प्रदेश में चारों ओर न्याय, विश्वास, विकास और उसमें जन-जन की भागीदारी की छटा दिखाई पड़ रही है।

चार साल पहले प्रदेश में बेचैनी और बदहाली का सबसे बड़ा कारण था कि जनता के सपनों, जनता की जरूरतों और सत्ता की सोच में एकरूपता नहीं थी। मैंने गांव-गांव दौरे किए और हर समाज, हर वर्ग के लोगों से मिलकर वास्तव में जनता के सपने पूरे करने की रणनीति अपनाई। अलग—अलग जरूरतों के लिए योजनाएं बनाईं। मैंने और हमारे साथियों ने देखा था कि उस वक्त किसान भाई धान का सही दाम नहीं मिलने के कारण निराश थे। हमने वादा निभाया और सरकार बनते ही 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया। इस काम में बाधाएं आईं तो उसका भी समाधान किया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राज्य के बजट से हमने 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि किसानों को देने की व्यवस्था की है। अब इस योजना में धान सहित खरीफ की सभी फसलों लघु धान्य फसलों जैसे कोदोए कुटकी, रागी, दलहनए तिलहन तथा उद्यानिकी फसलों को भी शामिल किया गया है।

मैं किसान का बेटा हूं। इसलिए किसानों के सुख—दुख को भली—भांति समझता हूं। हमने किसानों के हित में जो क्रांतिकारी कदम उठाए। उससे किसानों का हौसला बढ़ाए जिसके कारण प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया कीर्तिमान बना। हमने चार वर्षो में धान खरीदी को 56 लाख 88 हजार मीट्रिक टन से बढ़ कर एक करोड़ मीट्रिक टन से अधिक पहुँचा दिया और हर वर्ष एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है मुझे यह कहते हुए खुशी है कि नई फसलों और इससे संबंधित किसानों को बेहतर दाम दिलाने की दिशा में हम एक और बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। नरवा—गरवा—घुरूवा—बारी की पहचान छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप की है।

सुराजी गांव योजना के तहत इस चिन्हारी को बचाने—बढ़ाने—सजाने—संवारने और आने वाली पीढ़ी को अच्छी से अच्छी स्थिति में सौंपने के लिए बहुत बड़ा अभियान छेड़ा है। 28 लाख क्विटंल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादनएरूरल इंडस्ट्रिल पार्क के रूप में गांवों में ही गोबर से बिजलीए पेंट सहित विभिन्न आवश्यक चीजों का उत्पादन करेंगे। तेल मिल, दाल मिल आटा मिल, मिनी राइस मिल के माध्यम से रोजगार का सृजन किया जा रहा है ।

राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना एमुख्यमंत्री श्रमिक सहायता योजनाए मुख्यमंत्री निर्माण निःशुल्क कार्ड योजना, खेलकूद प्रोत्साहन योजनाए ई—श्रम पोर्टल। कारखाना श्रमिक प्रशिक्षण योजनाए सुपोषण योजना विभिन्न प्रकार की जनहितकारी कल्याण योजनाएं चलाई जा रही है। आज यह दिन हमारे गणतंत्र का अत्यंत गौरवशाली पड़ाव है। गणतंत्र जन—जन के अधिकारों और गौरव का दिन है। यह भारतीय संविधान के प्रति आस्था ही नहीं बल्कि हमारी एक—दूसरे प्रति आस्थाए विश्वास। छत्तीसगढ़ राज्य को ही यह सौभाग्य मिला है कि इसके नाम के साथ महतारी शब्द जुड़ता है जो मातृशक्ति के प्रति हमारी गहरी आस्था का प्रतीक है। इसीलिए हम कहते है बात हे अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वामिभान के । इन्ही शब्दों के साथ संदेश वाचन कार्य संपन्न हुआ।

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