कुलपति ममता चंद्राकर ने उठाया ‘बोरे बासी’ का आनंद, कहा…आम का अथान और गोंदली के साथ बासी खाना छप्पन भोग के समान

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति ममता चंद्राकर
इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति ममता चंद्राकर

सीजी क्रांति/खैरागढ़। विश्व मजदूर दिवस के मौके पर सीएम भूपेश बघेल के आव्हान के बाद छत्तीसगढ़ में आज ‘बोरे बासी’ दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक भोजन ‘बोरे बासी’ का लुत्फ उठाते अफसर, नेता—मंत्री समेत आम नागरिक सोशल मीडिया में अपनी तस्वीर शेयर कर रहे है।

इसी कड़ी में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति श्रीमती ममता चंद्राकर ने कहा कि ‘बोरे बासी’ मतलब गर्मी के दिनों में खाने से आत्मा को तृप्त करना…ठंडक का अहसास होने के साथ ऊर्जा का संचार होता है। आमा का अथान, गोंदली के साथ बासी खाना किसी छप्पन भोग से कम नहीं होता।

बता दें कि सीएम भूपेश बघेल ने अपील की थी कि छत्तीसगढ़ के सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि और युवा पीढ़ी 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को बोरे-बासी खाकर देश दुनिया में अपने खानपान अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम और गर्व की अभिव्यक्ति करें।

सीएम के आव्हान के बाद छत्तीसगढ़ का पारंपरिक भोजन ‘बोरे बासी’ को लेकर पूरे प्रदेश में उत्साह देखा जा रहा है। सोशल मीडिया में ‘बोरे बासी’ खाते यूजर्स अपनी तस्वीर शेयर कर रहे हैं वहीं ट्वीटर में भी ‘बोरेबासी’ टेंड कर रहा है।

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