सीजी क्रांति न्यूज/रायपुर। खैरागढ़ विधानसभा के लिए कांग्रेस से पूर्व विधायक गिरवर जंघेल का नाम लगभग फाइनल है! इसके बाद दशमत जंघेल और यशोदा वर्मा है। हालांकि इनके अलावा भी एक बड़ा नाम है, जो सीधे भूपेश बघेल के संपर्क में है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उन्हे साम-दाम देकर अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं! अगले दो दिन में उस रहस्य से पर्दा उठ जाएगा।
खैरागढ़ के विक्रांत सिंह को घेरने के लिए कांग्रेस छुईखदान-गंडई क्षेत्र से गिरवर जंघेल का नाम सामने कर रही है। गिरवर का नाम आने के बाद छुईखदान क्षेत्र के लोधी समाज एवं अन्य दावेदारों को समझाने में कांग्रेस को सहुलियत होगी। वहीं क्षेत्रीयता के मुद्दे को भुनाकर कांग्रेस वैतरणी पार करने की रणनीति पर भी विचार कर रही है। जिला निर्माण के बाद विभागों के बंटवारे को लेकर उपजे गुस्से को भुनाकर वोटों के समीकरण को बदलने पर काम करेगी।
भाजपा संगठन के अधिकांश प्रमुख पदों पर जहां खैरागढ़ क्षेत्र के नेताओं का दबदबा है। वहीं कांग्रेस से छुईखदान-गंडई और साल्हेवारा से सीधा संबंध रखने वाले गजेंद्र ठाकरे को जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया है। अब इसी क्षेत्र से गिरवर का नाम आगे कर भौगोलिक, क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण को साधने की तैयारी है।
खैरागढ़ की दरबारी राजनीति को भांपने के बाद कांग्रेस छुईखदान पर कर रही फोकस
उप चुनाव में खैरागढ़ की स्थानीय राजनीति और कमजोर नेतृत्व व दरबारी राजनीति को भांप चुकी है। यही वजह है कि कांग्रेस के आला नेता छुईखदान ब्लाक पर फोकस कर रही है। संगठन के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के करीबी गिरीश देवांगन की सक्रियता इसी क्षेत्र में अधिक रही है।
खैरागढ़ में विक्रांत सिंह के प्रभाव को देखते हुए स्थानीय स्तर के नेता सत्ता आने के बाद भी मुखर नहीं हो पाए। लिहाजा कांग्रेस छुईखदान को केंद्र में रखकर नए नेतृत्व व नई टीम तैयार कर रही है। हालांकि इसमें खैरागढ़ के नेताओं की भी भागीदारी रहेगी लेकिन प्रभाव व महत्व छुईखदान ब्लाक के नेताओं को सौंपने की रणनीति जल्द धरातल में देखने को मिलेगी।
साहू समाज और ओबीसी-एसी वर्ग को साधने विप्लव का कद बढ़ा सकती है कांग्रेस
हाल ही में राजनांदगांव जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू ने सीधे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष कांग्रेस प्रवेश किया है। इसकी जानकारी क्षेत्रीय विधायक व संगठन नेताओं तक नहीं थी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि खैरागढ़ सीट पर राजधानी से निगरानी रखी जा रही है। विप्लव साहू निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस-भाजपा को हराकर अपनी ताकत का अहसास करा चुके हैं। वे लोधी समाज के बाद सर्वाधिक वोटर्स साहू समाज से आते हैं।
इसके अलावा विप्लव लंबे समय से ओबीसी की राजनीति कर रहे हैं। एससी-व पिछड़ा वर्ग में उनकी पकड़ है। स्थानीय स्तर पर विप्लव साहू को कांग्रेसी पचा नहीं पा रहे हैं लेकिन पार्टी हाईकमान विप्लव साहू की योग्यता का पूरा इस्तेमाल करेगी। ऐसी पूरी संभावना है।