सीजी क्रांति/खैरागढ़। आदिवासियों के आरक्षण में हुई कटौती को बहाल करने सर्व आदिवासी समाज जिला मुख्यालय खैरागढ़ में आज एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपेंगे। ज्ञापन में मांग किया गया है कि बिलासपुर हाईकोर्ट में अनु जनजाति वर्ग का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत करने का आदेश दिया गया है। इससे आदिवासी समाज को आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से अपूरणीय क्षति होगी। समाज ने सरकार से मांग की है कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए तमिलनाडू राज्य की तर्ज पर आदिवासी समाज को 32 फीसदी आरक्षण देने अध्यादेश लाकर बिल पास करे। तब तक जब तक 32 प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं हो जाता सभी सरकारी विभागों में भर्ती प्रक्रिया शुरू न करे। अन्यथा सर्व आदिवासी समाज प्रदेश स्तरीय उग्र आंदोलन करेगी।
अंबेडकर चौक स्थिति धरना स्थल पर हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग जुटे हुए है। बता दें कि हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को रद्द कर दिया है। प्रदेश में अब तक कुल 58 प्रतिशत आरक्षण लागू था, इसमें एसटी 32, एससी 12 और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद एसटी वर्ग का आरक्षण 32 से घटकर 20 प्रतिशत रह गया है। इस मुद्दे पर पूरे प्रदेश में राजनीति गर्माया हुआ है। बिलासपुर हाई कोर्ट ने प्रदेश में रमन सिंह सरकार द्वारा लागू किए गए 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया है. ये मामला 2011 में सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में आरक्षण से जुड़ा है। इस मामले में हाई कोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण के असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ में वर्गवार आरक्षण की स्थिति पूरी तरह से बदल गई है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में साल 2012 से एसटी को 20, एससी को 16 और ओबीसी 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता था। लेकिन, रमन सरकार ने एसटी के आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 32 कर दिया और एससी के आरक्षण को 16 से घटाकर 12 कर दिया था। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा और करीब दस सालों तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने रमन सरकार के निर्णय को असंवैधानिक करार दिया।