सीजी क्रांति न्यूज/खैरागढ़। खैरागढ़ की राजनीति में राज परिवार का तिलिस्म तोड़कर 15 साल सत्ता की सवारी कर चुका लोधी समाज अब भविष्य में अपने राजनीतिक अस्तित्व को बनाए रखने एकजुट हो रहे हैं! लोधी समाज पर जहां भाजपा ने जातिवाद का उलाहना देकर उनकी योग्यता पर सवाल उठाया तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने लोधी समाज के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया था। तब तो लोधी समाज शांत रहा। लेकिन टिकट की मारामारी में नेताओं के प्रहार से घायल लोधी समाज अंधरूनी तौर पर सामाजिक ताकत का अहसास कराने संकल्प ले रहे हैं।
कांग्रेस से जुड़े लोधी समाज के लोग इस बात से आहत है कि उनकी ही पार्टी के लोगों ने समाज पर हमला बोला। वहीं भाजपा से जुड़े लोधी समाज के लोग भी इस बात से नाराज है कि उनके समाज को हाशिए पर डाल दिया गया। हालांकि भाजपा ने खैरागढ़ में लोधी समाज से होने वाले डेमेज कंट्रोल के लिए डोगरगांव से भरत वर्मा को टिकट दे दिया। जबकि वहां साहू समाज का प्रभाव है।
लोधी समाज के विकास की चिंता करने वाला एक खास वर्ग समाज में डोर-टू-डोर संपर्क और सामाजिक चौपाल लगाकर खैरागढ़ में समाज के अस्तित्व के लिए एकजुट होने की अपील कर रहे हैं। यह वर्ग कांग्रेस-भाजपा का गमछा छोड़कर एक विशेष रंग का गमछा पहन रहे हैं। और सांकेतिक रूप से समाज की पहचान को इंगित कर सामूहिकता का भाव पैदा करने की भी कोशिश कर रहे हैं। जानकारी यह भी मिली है कि प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी लोधी समाज के कार्यकर्ता खैरागढ़ में समाजिक भाव का अलख जगाने का काम शुरू कर चुके हैं।
लोधी समाज के बाद दूसरी बड़ी जनसंख्या वाला समाज भी ओबीसी की लहर बनाने सक्रिय हो चुका है। ताकि भविष्य में लोधी समाज हाशिए पर गया तो उनकी राजनीतिक दावेदारी पुख्ता हो सके। यानी आजाद भारत के बाद वंशवाद और परिवारवाद के प्रभाव में रहा खैरागढ़ विधानसभा सीट अब जातिवाद के भंवर में फंसता नजर आ रहा है। बता दें कि पूरे छत्तीसगढ़ में साजा और खैरागढ़ ही दो प्रमुख विधानसभा हैं जहां लोधी समाज निर्णायक भूमिका निभाता है। या कहें कि चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।