सीजी क्रांति/खैरागढ़। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम की प्रतिमा खंडित करने को लेकर आदिवासी समाज में जारी आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। घटना के आरोपियों को पकडऩे की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को एक बार फिर गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के लोग सडक़ पर उतकर घटना का विरोध किया। उन्होंने आरोपियों की गिफतारी की मांग को लेकर एसडीएम कार्यालय के पास जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मामले को लेकर राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा है।
प्रदेश संयोजक संतोष मरावी, ब्लॉक अध्यक्ष पोषण नेताम, भागी नेताम, रामकुमार मंडावी, राजा कुंजाम, सरजू धुर्वे, टीकम ध्रुवे, राहुल मंडावी, नीतू पारधी और लोकेश्वरी नेताम ने बताया कि कोरबा के पोड़ी उपरोहा ब्लॉक के ग्राम गुरसिया में हीरा सिंह, मरकाम का आदिवासी समाज ने सम्मान पूर्वक रूटि प्रथा के तहत प्रतिमा स्थापित किया था। जिसे 17 फरवरी की दरम्यानी रात असामाजिक तत्वों द्वारा खंडित कर दिया था। समाज का आरोप है कि असामाजिक तत्वों ने प्रायोजित और दुर्भावनापूर्वक तरीके से प्रतिमा को खंडित किया है।
सांकेतिक पुतला दहन भी किया
प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम कार्यालय के सामने जमकर प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी धरना स्थल से रैली निकालकर राजीव चौक पहुंचे। जहां घटना को अंजाम देने वाले अज्ञात असामाजिक तत्व का सांकेतिक पुतला दहन किया। इस दौरान समाज के लोगों में जमकर आक्रोश देखा गया।
घटना पर रोष व्यक्त
घटना के विरोध में आदिवासी समाज ने आंदोलन शुरू कर दिया है। पहले पड़ाव में प्रदेशभर में ब्लॉक मुख्यालय स्तर पर आंदोलन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग एकजुट हुए। वही प्रतिमा खंडित करने की घटना पर रोष व्यक्त किये। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर जल्द से जल्द आरोपियों की धरपकड़ नहीं होती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद अब प्रदेश स्तर पर बड़े आंदोलन की तैयारी चल रही है।
आदिवासी समाज का बड़ा चेहरा मरकाम
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम आदिवासी समाज का बड़ा चेहरा है। समाज के लोग उन्हें आदिवासियों के सच्चे हितैशी मानते है। उनका कहना है कि मूलनिवासियों की आर्थिक चिंतन व राजनितिक क्षेत्रों में संवैधानिक और नैतिक अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। हीरासिंग मरकाम छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के कोने-कोने में जल, जंगल, जमीन की लड़ाई सदन से लेकर सडक़ तक लड़ रहे है। उसी के सम्मान के लिए समाज द्वारा प्रतिमा स्थापित किया गया है।