सीजी क्रांति/खैरागढ़। चिकित्सा सुविधा और ईमारत को लेकर कभी पूरे प्रदेश में मशहूर रहा खैरागढ़ का सिविल अस्पताल अब बदहाल हो चुका है। कचरों का ढेर, जर्जर होती बिल्डिंग। मरीजों को मिलनी वाली सुविधाओं का नितांत अभाव है। यानी पूरे अस्पताल में वातावरण पर गौर करें तो यहां मनहूसियत सा माहौल है। नगर की गूंगी जनता और बांझ राजनीति का ही परिणाम है कि खैरागढ़ का अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
15 साल सत्ता भाजपा की रही। 4 साल से कांग्रेस की है लेकिन अस्पताल को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस काम नहीं हुआ। कुछ करना तो छोड़ कोई आवाज उठाने वाला तक नहीं है। चिकित्सा सुविधा दुरूस्त करने के लिए वही लड़ पाएगा, जो खुद को खैरागढ़ माटी का पुत्र समझेगा, वर्ना राजनीतिक लाबादा ओढ़कर हर कोई अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टी के बचाव में दलील देकर पल्ला ही झाड़ते रहेगा।
जनता पूछे विधायक यशोदा वर्मा से कि अस्पताल के लिए स्वीकृत 2 करोड़ रूपए का क्या हुआ। विधायक यशोदा वर्मा अपनी सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछे कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के मुख्य बजट में शामिल 50 बिस्तर सिविल अस्पताल के लिए भवन निर्माण हेतु 2 करोड़ का प्रावधान रखा गया था उसकी प्रशासकीय स्वीकृति के लिए संक्षेपिका और प्रस्ताव अब तक बना कि नहीं ?