खैरागढ़ : गूंगी जनता और बांझ राजनीति का नतीजा, तस्वीरों में देखिए सिविल अस्पताल की बदहाली

सीजी क्रांति/खैरागढ़। चिकित्सा सुविधा और ईमारत को लेकर कभी पूरे प्रदेश में मशहूर रहा खैरागढ़ का सिविल अस्पताल अब बदहाल हो चुका है। कचरों का ढेर, जर्जर होती बिल्डिंग। मरीजों को मिलनी वाली सुविधाओं का नितांत अभाव है। यानी पूरे अस्पताल में वातावरण पर गौर करें तो यहां मनहूसियत सा माहौल है। नगर की गूंगी जनता और बांझ राजनीति का ही परिणाम है कि खैरागढ़ का अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

हाल ही में खैरागढ़ नगर पालिका को बेहतर स्वच्छता के लिए दिल्ली में पुरस्कार मिला है। लेकिन सिविल अस्पताल में हाल-ए बयां कुछ और है।

15 साल सत्ता भाजपा की रही। 4 साल से कांग्रेस की है लेकिन अस्पताल को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस काम नहीं हुआ। कुछ करना तो छोड़ कोई आवाज उठाने वाला तक नहीं है। चिकित्सा सुविधा दुरूस्त करने के लिए वही लड़ पाएगा, जो खुद को खैरागढ़ माटी का पुत्र समझेगा, वर्ना राजनीतिक लाबादा ओढ़कर हर कोई अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टी के बचाव में दलील देकर पल्ला ही झाड़ते रहेगा।

जनता पूछे विधायक यशोदा वर्मा से कि अस्पताल के लिए स्वीकृत 2 करोड़ रूपए का क्या हुआ। विधायक यशोदा वर्मा अपनी सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछे कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के मुख्य बजट में शामिल 50 बिस्तर सिविल अस्पताल के लिए भवन निर्माण हेतु 2 करोड़ का प्रावधान रखा गया था उसकी प्रशासकीय स्वीकृति के लिए संक्षेपिका और प्रस्ताव अब तक बना कि नहीं ?

सिविल अस्पताल में प्रवेश करते ही दाएं ओर सालों से यह कंडम एंबुलेंस पड़ा है। यानी अस्पताल में घुसते ही नकारात्मक उर्जा का अहसास होने लगता है।
हाल ही में अस्पताल के पलंग, स्ट्रेचर और व्हील चेयर बदला गया है, लेकिन पुराने सामानों को नीचे वार्ड के नीचे बेतरतीब तरीके से रखा गया है।
अस्पताल नए पलंग और गद्दे लगाए गए हैं लेकिन पुराने गद्दों को नीचे वार्ड के बाहर कूड़े की तरह फेंक दिया गया है।
ठंड बढ़ते ही मच्छरों की संख्या बढ़ गई है, जिससे मलेरिया, फलेरिया समेत अन्य बीमारियां फैलती है। अस्पताल के भीतर मच्छरों के प्रवेश को रोकने के जो जाली लगाई गई, वह फट चुकी है।
अस्पताल के भीतर यह तस्वीर खुद चीख-खीख कर दुर्दशा को बता रही है।
मरीज के परिजनों के लिए भोजन करने बनाया गया मेस स्टोर रूप में तब्दील हो चुका है।
नेत्र रोग विभाग के सामने मरीजों के बैठने के लिए लगाई गई यह बेंच
बीमारियों को आमंत्रित करता यह गदंगी से नहाया जर्जर दीवार
लोगों के पीने के लिए यह शुद्ध जल मिलता है, कितना शु़द्ध जगह है, इसका अंदाजा फोटो देखकर लगाया जा सकता है।
जिले के नए सीएमएचओ कार्यालय के बाजू में कुलर लगाने का जुगाड़, अस्पताल की दरिद्रता को चीख-चीखकर बता रहा है।

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