सीजी क्रांति/खैरागढ़। खैरागढ़ में रेंटर वेरिफिकेशन यानी किराएदारों का सत्यापन करने में पुलिस रूचि नहीं ले रही है। इसके लिए मकान मालिक भी जिम्मेदार है, जो किराएदारों की जानकारी पुलिस को नहीं दे रहे हैं। हालांकि पुलिस स्वसंज्ञान लेकर भी यह काम कर सकती है लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
खैरागढ़ में किराएदारों का सत्यापन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां कई उच्च शिक्षण संस्थान है, जहां के हजारों बच्चे यहां किराए के मकानों में रह रहे हैं। इस बात की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है कि जांच हुई तो कई मकानों में लिव इन रिलेशनशिप के मामले भी सामने आ सकते हैं। वहीं कई संदिग्ध भी पकड़े जा सकते हैं। जो बगैर किसी पहचान के यहां रह रहे हैं।
दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड मामला सामने आने के बाद लिव इन रिलेशनशिप चर्चा में है। इस मामले में भी किराएदार सत्यापन नहीं होने जैसे तथ्य सामने आए हैं।खैरागढ़ में भी हजारों की तादात में युवा पढ़ाई एवं काम के सिलसिले में यहां रह रहे हैं। हालांकि लिव-इन-रिलेशनशिप पर कानूनन रोक नहीं लगाई जा सकती है, यदि कपल्स बालिग है और अपनी रजामंदी से रह रहे हैं।
किराएदारों का सत्यापन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जिला केसीजी नक्सल मामलों को लेकर भी संवेदनशील है। मंगलुरू में हुए बम ब्लास्ट करने वाला भी किराए के मकान में रह रहा था। यहीं नहीं छत्तीसगढ़ में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें नक्सल व आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोग किराए के मकान को ठिकाना बनाए हुए थे। जानकारों के अनुसार बहुत से संपत्ति मालिक मकान किराये पर तो दे देते हैं लेकिन उनकी जानकारी पुलिस को नहीं दे रहे हैं। उनके पास खुद किरायेदार की पूरी जानकारी नहीं होती है। सिर्फ उनका नाम और पता जानते हैं।
पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी
0 प्रॉपर्टी किराये में देने से पहले पुलिस वेरिफकेशन जरूरी है।
0 व्यक्तिगत रूप से मकान मालिक को यह काम कराना चाहिए।
0 पुलिस के पास एक रेंटर यानी किरायेदार वेरिफिकेशन फॉर्म होता है। इसे भरने के लिए किरायेदार की फोटो, आधार कार्ड की कॉपी जमा करना होता है।
0 किरायेदार का कोई आपराधिक रिकॉर्ड होगा तो पुलिस वेरिफिकेशन से इसका पता चल जाता है।