सीजी क्रांति/खैरागढ़। कलेक्टोरेट के सामने एक महिला ‘‘मुझे न्याय चाहिए‘‘ की तख्ती लगाकर 16 नवंबर से धरने पर बैठी हुई है। वह एक ऐसे मांग पर अड़ी है, जिसे पूरा करने में अफसर अनिर्णय की स्थिति में है।
दरअसल साल्हेवारा तहसील के ग्राम पंचायत सहसपुर अंतर्गत नवागांवघाट में झामन बाई सरकारी जमीन को घेरकर वहां मकान बनाकर रह रही थी। लेकिन कुछ माह पूर्व ग्राम पंचायत ने उस मकान को अतिक्रमण और अवैध मकान मानकर तोड़ दिया। इससे नाराज झामन बाई ने मुख्यमंत्री जन चौपाल में अपनी शिकायत दर्ज कर आर्थिक सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री सचिवालय ने झामन बाई को आर्थिक सहायकता देने अविभाजित कलेक्टर राजनांदगांव को पत्र भेजा। लेकिन इस संबंध में ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई।
अब चूंकि नया जिला केसीजी बन गया। झामन बाई ने 15 नवंबर को नए जिले के कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर को अपनी समस्या बताई। इस बीच कलेक्टर कुछ कर पाते, झामन बाई 16 नवंबर को ही कलेक्टोरेट के सामने धरने पर बैठ गई। झामन बाई मुख्यमंत्री सचिवालय के पत्र का हवाला देकर जमीन या चार लाख रूपए मुआवजा देने की मांग कर रही है। महिला का आरोप है कि गांव में और भी लोगों ने सरकारी जमीन पर मकान बनाया है लेकिन उसी के मकान को क्यों तोड़ा गया है?
उन्होंने ने यह भी कहा कि ग्राम पंचायत ने उसके निरारित पेंशन तक को बंद कर दिया है। महिला विधवा है। वह अपने ससुराल से अलग रहती है। उसके चार बच्चे है। जिला प्रशासन को चाहिए कि झामन बाई के मकान को तोड़ने की वजह, निराश्रित पेंशन को रोकने समेत मुख्यमंत्री सचिवालय से जो आर्थिक सहायता का पत्र भेजा गया है, उसका अवलोकन व जांच कर महिला की न्याय की मांग को पूरी करें।
सवाल यह उठता है कि झामन बाई मांग कितना जायज है या कितना नजायज, इसका फैसला तब होगा जब प्रशासन अपने हिस्से की जिम्मेदारी को निभाते हुए मामले की तत्काल सूक्ष्म जांच कर निर्णय की स्थिति तक पहुंचे। महिला की मांग सही है तो उसे राहत पहुंचाई जाए और गैरवाजिब है कि तो उस पर नियमानुसार कार्यवाही करे। कलेक्टोरेट के सामने न्याय की आस में बैठी महिला के धरने पर बैठना जिला प्रशासन की व्यवस्थागत खामियों को उजागर कर रहा है।
दूसरी ओर जनता के हितों की बात करने वाले क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक संगठन कांग्रेस-भाजपा ने भी इस मुद्दे पर अभी तक गौर नहीं किया है। जो कि राजनीतिक निष्क्रियता और पंगूपन को दर्शाता है।