सीजी क्रांति/खैरागढ़। इंदिरा संगीत विवि की नींव रखने और कला तीर्थ के रूप मे शहर को संगीत नगरी के रूप मे पहचान दिलाने वाले संस्थापक परिवार के सदस्यो को खैरागढ़ महोत्सव मे पर्याप्त तवजो नही दिए जाने से नाराज राजपरिवार के सदस्यो सहित राजमहल पर आस्था रखने वाले पचास से ज्यादा लोगो ने कुलपति के खिलाफ नारे लगाकर विरोध दर्ज किया।
राजपरिवार के लाल अशोक सिंह, हेमंत सिंह, चिंताहरण सिंह, त्रिभुवन सिंह, मांगीलाल डाकलिया, पलाश सिंह, अभिषेक सिंह, अमित सिंह, राजेंद्र सिंह सहित अन्य ने कोरोना काल के चलते बीते दो साल से बाधित महोत्सव के आयोजन मे संस्थापक परिवार के सदस्यो की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझकर विवि प्रशासन ने राजकुमारी इंदिरा और राजा रानी के फोटो का फ्लैक्स, होर्डिंग और बैनर मे जगह नही दी है, संगीत कला के तीर्थ रूप मे विकास को लेकर राजमहल दान करने वाले परिवार की विवि प्रशासन ने जानबूझकर अनदेखी की है। कुलपति ममता चंद्राकर के खिलाफ जोरदार नारेबाजी नाराज लोगो विवि परिसर तक पहुॅच गए थे जिन्हे समझाने और रोकने पुलिस का काफी मशक्कत करनी पड़ी।
लगाया जानबूझकर अनदेखी का आरोप
नाराज राजपरिवार समर्थको का आरोप है कि 1956 मे संगीत नगरी के रूप मे शहर को स्थापित करने अरबो रूपयो का राजमहल दान करने वाले राजा रानी और राजकुमारी इंदिरा जिनके नाम पर विवि की नींव रखी गई है उनका नाम या फोटो भी आमंत्रण पत्र मे नही दिख रहा जो सीधे तौर पर राजपरिवार का अपमान है।
कुलसचिव पहुंचे मनाने लेकिन कुलपति को बुलाने अड़े रहे प्रदर्शनकारी
संस्थापक परिवार के सदस्यो की अनदेखी से नाराज राजपरिवार समर्थक विवि के मेन गेट के अंदर पहुॅच गए थे जिन्हे मनाने समझाने एसडीओपी दिनेश सिंहा और टीआई नीलेश पांडेय लगातार कोशिश करते रहे लेकिन समर्थको की नाराजगी दूर नही हुई और कुलपति ममता चंद्राकर होश मे आओ के नारे लगते रहे, इसी बीच सीएम भूपेश बघेल के आने की सूचना पर कुलसचिव इंद्रदेव तिवारी पहुॅचे लेकिन प्रदर्शनकारियो ने सीधे दो टूक सुना दिया कि जानबूझकर संस्थापक परिवार के सदस्यो की अनदेखी की गई है इसलिए इस विषय पर कुलपति को सामने आकर बात रखनी होगी।
उल्लेखनीय है कि खैरागढ़ महोत्सव के इतिहास मे यह पहली बार हुआ है कि आमंत्रण पत्र अथवा अन्य किसी प्रचार सामग्री मे दानदाता राजा रानी और उनकी पुत्री इंदिरा की तस्वीर नही लगी है, बस यही बात लोगो को नागवार गुजर रही है कि जिस शहर को कला तीर्थ के रूप मे विकसित करने राजमहल दान मे देकर सर्किट हाउस को निवास बनाने वाले राजा रानी के परिवार के सदस्यो की अनदेखी हो रही है जबकि राजा देवव्रत सिंह के निधन बाद आर्यव्रत सिंह का नए राजा के रूप मे ताजपोशी हो गई है।