सीजी क्रांति/खैरागढ़। राजधानी रायपुर और दुर्ग के आसमान पर शनिवार से छाए बादल रविवार सुबह बरस पड़े। हल्की हवा और गरज-चमक के साथ तेज बरसात हुई। खैरागढ़ के अलावा रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, कबीरधाम, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, बलौदा बाजार और बालोद जैसे जिलों में कई स्थानों पर बरसात की रिपोर्ट है।
मौसम विभाग के मुताबिक, शनिवार सुबह आठ बजे तक दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्तरी सीमा दुर्ग शहर में ही ठहरी हुई थी। अब जांजगीर-चांपा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और बिलासपुर जैसे जिलों में भी मध्यम से भारी बरसात दर्ज होने के बाद संभावना जताई जा रही है कि मानसून मध्य छत्तीसगढ़ तक पहुंच गया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि दोपहर बाद ही हो पाएगी। मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक प्रदेश में ऐसे ही बरसात रह सकती है।
मौसम विभाग के मुताबिक एक द्रोणिका उत्तर राजस्थान से मणिपुर तक स्थित है। इसके प्रभाव से प्रदेश में रविवार को अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम होने की संभावना बनी है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ बिजली गिरने तथा अंधड़ चलने की संभावना भी बन रही है। कहा जा रहा है, अंधड़ के समय हवा की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। मौसम विभाग ने 19 से 23 जून के बीच छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों पर भारी बरसात की संभावना जताई है।
रायपुर में धरना स्थल मैदान पानी-पानी
राजधानी रायपुर में बूढ़ातालाब के पास धरना स्थल, पहली बरसात में ही पानी-पानी हो गया है। तेज हवा से आंदोलनकारियों के पंडाल को नुकसान हुआ है। वहीं सड़क से नीचे होने की वजह से मैदान में पानी भर गया है। यहां धरने पर बैठे कई संगठनों के लोग बुरी तरह भीग गए हैं।
बुधवार-गुरुवार को आ गया था मानसून
छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन 15-16 जून की रात ही हो गया था। 16 जून को दोपहर बाद मौसम विभाग ने बताया, मानसून छत्तीसगढ़ के बस्तर को पार कर दुर्ग तक पहुंच गया है। हालांकि उस दिन केवल जगदलपुर में 30 मिलीमीटर बरसात को छोड़कर कहीं भारी बरसात की सूचना नहीं थी। दुर्ग-भिलाई और राजनांदगांव में भी बरसात नहीं हुई थी।
अब खेतों में बोनी की तैयारी
इस बरसात के साथ छत्तीसगढ़ के खेतों में खरीफ की बोनी शुरू होने जा रही है। छिटककर धान बोने के लिए किसान खेतों में हल्का पानी इकट्ठा होने का इंतजार कर रहे थे। अब इस बरसात के साथ यह जरूरत पूरी होती दिख रही है। धान की रोपाई करने वाले किसान इस बरसात के बाद एक बार और खेत की जुताई कर पलेवा लगाएंगे। उसके बाद नर्सरी से पौधों को उखाड़कर पलेवा लगे खेत में रोपा जाएगा।