सीजीक्रांति/खैरागढ़। नगर में अवैध प्लाटिंग और अतिक्रमण के गोरखधंधे में लिप्त भू—माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में नगर पालिका प्रशासन ढिलाई बरत रहा है। कृषि भूमि के टुकड़े कर जमीन बेची गई। उस जमीन पर बगैर नक्शा पास किए मकान भी तन गए। तब तक नगर पालिका प्रशासन की टीम आंख मूंदे रही। जब इस मामले को उजागर किया गया तब पालिका प्रशासन हरकत में आई। जांच शुरू हुई लेकिन जांच में जबर्दस्त लीपापोती की जा रही है!
महिने भर पहले नगर पालिका ने यह दावा किया कि उन्होंने बबलू डाकलिया और माखन वर्मा के खिलाफ एफआईआर करने पुलिस विभाग को पत्र भेजा। लेकिन पुलिस विभाग ने नगर पालिका प्रशासन की जांच को अधूरी बताकर एफआईआर करने से मना कर दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि नगर पालिका प्रशासन को इसकी कोई जानकारी ही नहीं है। पालिका प्रशासन ने एफआईआर के लिए पुलिस से गुजारिश तो की लेकिन अब तक एफआईआर क्यों नहीं हुआ, इसका फॉलोअप नहीं लिया है।
पालिका प्रशासन का दावा है कि उन्होंने नगर में अवैध प्लाटिंग करने वाले 21 लोगों को नोटिस जारी किया है। वहीं उनके जमीन की खरीदी—बिक्री होने पर रजिस्ट्री पर रोक लगाने उप पंजीयक कार्यालय को भी पत्र जारी कर दिया है। मजेदार बात यह है कि अवैध प्लाटिंग के इतने बड़े मुद्दे पर पालिका प्रशासन ने उन 21 अवैध प्लाटिंग करने वालों का नाम भी सार्वजनिक नहीं किया है। इसकी पीछे वजह यही मानी जा रही है कि भू—माफियाओं के खिलाफ सीधी और तेज कार्रवाई न कर उन्हें बचने का पर्याप्त समय दिया जा रहा है।
अवैध कॉलोनी हो सकती है वैध, सरकारी खजाने में आएगा पैसा, पर अधिकारी बीच का रास्ता तलाश रहे?
जानकारों के अनुसार प्रशासन की नजर से बचकर यदि भू—माफियाओं ने अवैध प्लाटिंग कर कॉलोनी बसा दी है, तो उसके वैध करने का भी प्रावधान है! यानी पालिका प्रशासन विकास शुल्क वसूल सकती है। जिन्होंने प्लाटिंग की है, उनसे ईडब्लूएस के लिए 15 प्रतिशत जमीन ले सकती है। वहीं सड़क, नाली, बिजली एवं सार्वजनिक प्रयोजन के लिए जमीन लेकर उसका ले—आउट पास कर अवैध कॉलोनी को वैध किया जा सकता है। इस दिशा में यदि काम हुआ तो सरकारी खजाने में पैसा आ जाएगा। साथ ही अवैध कॉलोनी में मकान बनाकर रह रहे लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध हो सकेगी। पर अभी तक पालिका प्रशासन अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ कड़ाई नहीं बरत रही है! यही वजह है कि अवैध प्लाटिंग करने वाले बेखौफ हैं। और प्रशासन की कार्रवाई पर उंगली उठनी शुरू हो गई है।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध
क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग होते रहे। नेता खामोश रहे। अब मामला उजागर हो चुका है तब भी कोई जनप्रतिनिधि सामने आकर प्रशासन पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाने की मांग नहीं कर रह हैं। साफ है कि जनप्रतिनिधि भी जनता के साथ नहीं बल्कि अवैध कार्यों को अंजाम देने वालों को मौन समर्थन दे रहे हैं। चर्चा यह भी है कि राजनीतिक रसूख रखने वाले कुछ जनप्रतिनिधि ही इस प्रकरण को कमजोर कर आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
सीएमओ सूरज सिदार और टीआई नीलेश पाण्डेय के बयानों में विरोधाभाष
इस पूरे मामले में जब सीजीक्रांति ने टीआई नीलेश पाण्डेय से अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ अब तक एफआईआर न करने की बात पूछी तो उन्होंने कहा कि नगर पालिका प्रशासन ने बबलू डाकलिया और निश्चय जैन के खिलाफ एफआईआर करने का पत्र भेजा है। जांच रिपोर्ट अधूरी है, इसलिए एफआईआर कार्रवाई रोकी गई है। जबकि निश्चय जैन को पालिका प्रशासन ने पहले ही क्लीन चिट दे दी है। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रश्न ही नहीं है।
वही दूसरी ओर सीएमओ सूरज सिदार अलग बयान दे रहे हैं कि उन्होंने माखन वर्मा और विद्या नगर बसाने वाले बबलू डाकलिया के खिलाफ एफआईआर करने पत्र भेजा है। टीआई नीलेश पाण्डेय जांच अधूरी होने की बात कहकर पालिका को अवगत करा दिए जाने की बात कह रहे हैं। जबकि सीएमओ इस बात साफ इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि एफआईआर के लिए जांच अधूरी है यह जानकारी पुलिस विभाग ने उन्हें दी ही नहीं है।